why we celebrate mahavir jayanti in hindi | हिंशा, पशुबलि, जात-पात का भेद भाव जिस युग मे बढ़ गया उसी युग मे भगवन महावीर (Mahavir Shwami) का जन्म हुआ | उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढाया | महावीर स्वामी ने अहिंषा को सर्बोपरी बतया और जैन धर्म के पंचसिल सिधांत भी दिए | इनमे अहिंषा, सत्य, अपरिग्रह, असत्य और ब्रह्मचर्य सामिल है | why we celebrate mahavir jayanti in hindi| इस लेख मे हमलोग जानेंगे की महावीर जयंती क्यों मनाया जाता है इस पर्व का खाशियत क्या है, आखिर महावीर स्वामी ने जैन धर्म को आगे कैसे बढ़ाये इस लेख मे हमलोग इन्ही सब बातो पर चर्चा करंगे आपलोग इस लेख को ध्यान से पढ़िए | why we celebrate mahavir jayanti in hindi
आज महावीर जयंती है. ये जैन धर्म का प्रमुख त्योहार है. जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर भगवान महावीर या वर्धमान महावीर की जयंती हर साल दुनिया भर मे पुरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है | अहिंषा, त्याग और तपस्या का संदेश देने वाले महावीर स्वामी की जयंती ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुशार मार्च या अप्रैल महीने मे मनाई जाती है | वही, हिन्दू कैलेंडर के अनुशार चैत्र मैश के 13वे दिन महावीर ने जन्म लिया था | जैन धर्म के अनुयायी के लिए महावीर जयंती का विशेष महत्त्व है |
आपको बता दे, हिंशा,पशुबलि,जात-पात का भेद भाव जिस युग मे बढ़ गया था, उसी युग मे भगवान महावीर का जन्म हुआ | उन्होंने दुनिया को सत्य अहिंषा का पाठ पढाया | महावीर ने अह्निषा को सर्बोपरी बताया और जैन धर्म के पंचशील सिधांत भी दिए | इस पञ्चशील सिधांत मे अहिंषा,सत्य,अपरिग्रह,असत्य और ब्रहचर्य सामिल है |
महावीर जयंती को महावीर स्वामी जन्म कल्याणक के नाम से भी जाना जाता है | महावीर जयंती के दिन जैन मंदिरों मे माहिर की मुर्तियो का अभिषेक किया जाता है | इसके बाद मूर्ति को एक रथ पर बैठाकर जुलुश भी निकला जाता है | इस यात्रा मे जैन धर्म के अनुयायी बढ़चढ़कर भाग लेते है |
वर्धमान महावीर कौन है ?
महावीर के जन्मदिवस को लेकर यह मतभेद है | श्वेताम्बर जैनीयो का मानना है की उनका जन्म 599 ईशा पूर्व मे हुआ था , वही दिगम्बर जैनियों का मत है की उनके आराध्य 615 ईशा पूर्व मे प्रकट हुए थे | जैन मान्यतायो के अनुशार उनका जन्म बिहार के कुंडलपुर के साही परिवार मे हुआ था | बचपन मे महावीर का नाम ‘वर्धमान’ था | ऐसा माना जाता है की वे बचपन से ही साहसी, तेजश्वी और अत्यंत बलशाली थे और इस वजह से लोग उन्हें महावीर कहने लगे |
उन्होंने अपने इन्द्रियों को जित लिया था, इसलिए महावीर स्वामी को ‘जीतेन्द्र’ भी कहा जाता है | महावीर स्वामी के माता जी का नाम ‘त्रिशाला देवी’ और पिता का नाम ‘सिद्धार्थ’ था | महावीर स्वामी ने कलिंग के राजा की बेटी यशोदा से शादी किये थे लेकिन 30 वर्ष की उम्र मे उन्होंने गृह त्याग दिए |
भगवान महावीर के अनमोल वचन
- किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को न पहचानना है और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक किया जा सकता है |
- शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंषा है |
- प्रत्येक जिव स्वतंत्र है | कोई भी किसी पर निर्भर नही रहता |
- भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नही है | हर कोई सही दिसा मे सर्बोच प्रयास कर के देवतत्त्व प्राप्त कर सकता है|
- प्रत्येक आत्मा स्वेम मे सर्वज्ञ और आंनदमय है |
- सभी जीवित प्राणियों के प्रति सामान अहिंषा है |
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