चाणक्य निति : पत्नी के लिए कब उसका पति दुस्मन के सामान हो जाता है, जाने चाणक्य निति क्या कहती है | Chankya Niti Kya Hai

चाणक्य निति
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पति-पत्नी का रिश्ता बहुत ही खास होता है , कहते है की यदि दोनों व्यक्तिओ के बिच तालमेल सही नही रहेगा तो दोनों का जीवन दुखद हो जायेगा | आखिर ऐसा क्यों होता है , आज के समय मे पति-पत्नी को एक दुसरे को सोचने समझने का छमता होना चाहिए जब ये दोनों एक दुसरे को समझने लग जायेंगे तो उनका जीवन काफी सुखद हो जायेगा | चाणक्य के अनुसार वे कहते है की जिस घर मे पति-पत्नी के बिच प्रेम की कमी रहती है वहा पर कभी भी कलह और दुःख का वातावरण छाया रहता है |

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चाणक्य निति : पत्नी के लिए कब उसका पति दुस्मन के सामान हो जाता है, जाने चाणक्य निति क्या कहती है

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चाणक्य ने एक निति मे बताया है की आखिर कब पति अपनी पत्नी का सत्रु बन जाता है |

  • बुरे चरित्र वाली स्त्री के लिए सत्रु है  उसका पति – चाणक्य कहते है की यदि किसी स्त्री का सम्बन्ध किसी गैर आदमी से है तो इस स्थति मे वह स्त्री अपने पति को सबसे बड़ा दुसमन मानती है | चाणक्य के अनुसार यदि उसका पति उसे किसी काम मे रोकता है तो इस स्त्थिति मे भी वह अपने पति पर गुसा करती है |
  • पति-पत्नी दोनों का गलत आचरण- चाणक्य कहते है की यदि पति-पत्नी दोनों मे से कोई एक गलत कामो मे घिरा रहता है तो दुसरे को भी इसका परिणाम भुगतना पड़ता है | पति की गलती का पत्नी पर बुरा प्रभाव पड़ता है , और पत्नी की गलती का पति पर बुरा पप्रभाव पड़ता है |
  • लोभी का सत्रु – याचक : चाणक्य कहते है की लालची व्यक्ति का लोभ धन पर ही रहता है | ऐसे लोग जान से जायदा धन से प्रेम करते है | निति के अनुसार इनके दरवाजे पर कोई भिक्षा मांगने वाला आ जाये तो ये लोग उनको एक अलग दृष्टिकोण से देखते है |
  • मुर्ख का सत्रु – यदि कोई किसी को उपदेश दे रहा हो | चाणक्य कहते है जो लोग किसी को किसी भी चीज का उपदेश देते है तो मुर्ख व्यक्ति उसे अपना सत्रु के नज़र से देखता है | मुर्ख व्यक्ति को ज्ञान का बात बताने पर वह सामने वाले को सत्रु के सामान देखता है | चाणक्य के अनुसार ज्ञान की बाते उसे चुभती है वह इसे सुनना पसंद नही करता है |

चाणक्य निति : पत्नी के लिए कब उसका पति दुस्मन के सामान हो जाता है, जाने चाणक्य निति क्या कहती है

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चाणक्य निति : पत्नी के लिए कब उसका पति दुस्मन के सामान हो जाता है, जाने चाणक्य निति क्या कहती है

दोस्तों यह लेख चाणक्य के दिए हुए निति पर लिखी गयी है इसलिए यदि आपको इस पोस्ट से कोई दिक्त हुआ हो तो आप माफ़ करना कोम्न्ट्स करके जरुर बतियेगा की यह पोस्ट द्वारा दिया हुआ जानकारी कैसा है चाणक्य का यह निति सही है या गलत यह आप सब जरुर बताना | धन्यबाद :


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